Tuesday, 5 May 2015

चमत्कारी बजरंग बाण का अचूक प्रयोग -

जय श्रीराम, जय रामभक्त हनुमान... इस युग में साक्षात देवों में से एक हैं श्री हनुमानजी। बहुत से हनुमान भक्त न केवल दुख-क्लेशों से दूर रहते हैं बल्कि उनकी उन्नति भी उत्तरोत्तर होती रहती है। आइए जानते हैं भौतिक मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए बजरंग बाण के अमोघ विलक्षण प्रयोग के बारे में....

सबसे पहले अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगल अथवा शनिवार का दिन चुन लें। हनुमानजी का एक चित्र या मूर्ति जप करते समय सामने रख लें। ऊनी अथवा कुशासन बैठने के लिए प्रयोग करें। अनुष्ठान के लिए शुद्ध स्थान तथा शान्त वातावरण आवश्यक है। 

ध्यान रहे कि यह साधना कहीं एकान्त स्थान अथवा एकान्त में स्थित हनुमानजी के मन्दिर में प्रयोग करें। हनुमान जी के अनुष्ठान में अथवा पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्त्व होता है। 5 अनाजों (गेहूं, चावल, मूंग, उड़द और काले तिल) को अनुष्ठान से पूर्व एक-एक मुट्ठी प्रमाण में लेकर शुद्ध गंगाजल में भिगो दें। अनुष्ठान वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीया बनाएं। 

दीपक में बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर कलावे का एक तार लें अथवा एक कच्चे सूत को लम्बाई के बराबर काटकर लाल रंग में रंग लें। इस धागे को 5 बार मोड़ लें। इस प्रकार के धागे की बत्ती को सुगन्धित तिल के तेल में डालकर प्रयोग करें। समस्त पूजा काल में यह दिया जलता रहना चाहिए। पूजन करते समय हनुमानजी को सुगंधित गूगुल की धूनी से सुवासित करते रहें। 

ध्यान रहें कि जप के पहले यह संकल्प अवश्य लें कि आपका कार्य जब भी होगा, हनुमानजी के निमित्त नियमित कुछ भी करते रहेंगे। शुद्ध उच्चारण से हनुमान जी की छवि पर ध्यान केन्द्रित करके बजरंग बाण का जाप प्रारम्भ करें। “श्रीराम–” से लेकर “–सिद्ध करें हनुमान” तक एक बैठक में ही इसकी एक माला जप करनी है।

गूगुल की सुगन्धि देकर जिस घर में बजरंग बाण का नियमित पाठ होता है, वहाँ दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य शारीरिक कष्ट आ ही नहीं पाते। यदि किसी कारण नित्य पाठ करने में असमर्थ हो, तो प्रत्येक मंगलवार को यह जप अवश्य करना चाहिए।

दोहा : 
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई : 
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥


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9 comments:

  1. ~<बाबा बड़े दयालु है,साधक की तनिक सी गुहार सुनकर उसकी हर तरह की कामना सिद्ध कर देते हैं।
    बजरंग बांण अचूक उपाय है।
    जानकारी सर्बोत्तम है।आभार।

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  2. ~<बाबा बड़े दयालु है,साधक की तनिक सी गुहार सुनकर उसकी हर तरह की कामना सिद्ध कर देते हैं।
    बजरंग बांण अचूक उपाय है।
    जानकारी सर्बोत्तम है।आभार।

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  3. महाराज जी प्रणाम
    बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए या नहीं। गीताप्रेस मनाही करता है। मार्गदर्शन करें

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  4. अशोक सोनकर भावसार (पंंडीतजी)
    महोदय,
    आजतक शुध्द बजरंंग बाणके खोजमे कई किताबे
    हनुमान चालीसा पढलिया लेकीन हर एक बजरंंग
    बाणमे अशूध्दता नजर आई । अभि अभि आपका
    ब्लाग बजरंंग बाण ११ बार बार बार पढकर
    दिलकी तसल्ली हूई। हम आध्यात्मिक लोगोपर आपके बहोत एहसान है । जोकी आप ईतनी शूध्द
    प्रत सादर करनेमे कामियाब हूवे। भविष्यमे ईसी तरहा हमे मार्गदर्शन मिलता रहे ।
    धन्यवाद ! जय श्री राम
    जय हनुमान

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  5. अशोक सोनकर भावसार (पंंडीतजी)
    महोदय,
    आजतक शुध्द बजरंंग बाणके खोजमे कई किताबे
    हनुमान चालीसा पढलिया लेकीन हर एक बजरंंग
    बाणमे अशूध्दता नजर आई । अभि अभि आपका
    ब्लाग बजरंंग बाण ११ बार बार बार पढकर
    दिलकी तसल्ली हूई। हम आध्यात्मिक लोगोपर आपके बहोत एहसान है । जोकी आप ईतनी शूध्द
    प्रत सादर करनेमे कामियाब हूवे। भविष्यमे ईसी तरहा हमे मार्गदर्शन मिलता रहे ।
    धन्यवाद ! जय श्री राम
    जय हनुमान

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  6. Jai jairam jaishri ram
    Jai shri bajarang bali

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  7. पूजा के बाद बने हुए जो दीपक का क्या करें ?
    कहां रखना/विसर्जन करना चाहिए ?

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