आजकल के व्यस्त शहरी जीवन और तड़क-भड़क की जिन्दगी में हम नियमों को ताक में रखकर मनमाने ढंग से घर या मकान का निर्माण कर लेते हैं। जब भारी लागत लगाने के बावजूद भी घर के सदस्यों का सुख चैन गायब हो जाता है, तब हमें यह आभास होता है कि मकान बनाते समय कहां पर चूक हुई है। अतः मकान बनाने से पहले ही हम यहां पर कुछ वास्तु टिप्स दे रहे हैं, जिनका अनुशरण करके आप अपने घर-मकान, दुकान या कारखाने में आने वाली बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं ।हमारे रहन सहन में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है। कई बार हम सभी प्रकार की उपलब्धियों के बावजूद अपने रोजमर्रा की सामान्य जीवन शैली में दुखी और खिन्न रहते हैं। वास्तु दोष मूलतः हमारे रहन सहन की प्रणाली से उत्पन्न होता है। प्राचीन काल में वास्तु शास्त्री ही मकान की बुनियाद रखने से पहले आमंत्रित किए जाते थे और उनकी सलाह पर ही घर के मुख्य द्वार रसोईघर, शयन कक्ष, अध्ययन शाला और पूजा गृह आदि का निर्णय लिया जाता था।
—-अपने घर में साल में एक दो-बार हवन करें|
—–घर में अधिक कबाड़ इकठ्ठा न करें|
—–शाम के समय एक बार पूरे घर की लाइट जरूर जलाएं|इस समय घर में लक्ष्मी का प्रवेश होता है|
—–सुबह-शाम सामूहिक आरती करें
—–महीने में एक या दो बार उपवास करें|
—–घर में हमेशा चन्दन और कपूर की खुशबु का प्रयोग करें|
—–जो व्यक्ति श्रेष्ट धन की इच्छा रखते हैं व रात्रि में सताईस हकिक पत्थर लेकर उसके ऊपर लक्ष्मी का चित्र स्थापित करें,तो निश्चय ही उसके घर में अधिक उन्नति होती है|
—–यदि ग्यारह हकिक पथेर लेकर किसी मंदिर में चदा दें|कहें की अमुक कार्य में विजय होना चाहता हूँ तो निश्चय ही उस कार्य में विजय प्राप्त होती है|
—-वास्तु में दिशाओं का बड़ा महत्व है इसलिए घर में कोई भी सामान रखने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि उस सामान को किस दिशा में रखा जाना चाहिए।
—-मकान के पूर्व/पूर्वोत्तर दिशा में छोटे झाड़ीनुमा पौधे लगाएं। इससे मकान में रहने वाले परिवार को सूर्य के विकिरण के लाभ अधिकतम मिलते हैं।
—स्टडी टेबल के पास पेंडुलम घड़ी लगाने से ज्यादा ध्यान लगता है।,सिर्फ वर्गाकार/आयताकार भूमि का टुकड़ा ही खरीदें।, कीचन में नीले रंग का प्रयोग न करें।, बेडरूम में पूजा का स्थान नहीं बनाएं।, मकान के —-प्रवेश द्वार के पास कोई कांटेदार पौधा न लगाएं।
—शयनकक्ष में झाडू न रखें। तेल का कनस्तर, अँगीठी आदि न रखें। व्यर्थ की चिंता बनी रहेगी। यदि कष्ट हो रहा है तो तकिए के नीचे लाल चंदन रख कर सोएँ।
—दुकान में मन नहीं लगता तो श्वेत गणपति की मूर्ति विधिवत पूजा करके मुख्य द्वार के आगे और पीछे स्थापित करना चाहिए।
—मुख्य दरवाजे के खोलने बंद करने में कोई आवाज नहीं होनी चाहिए।, खिड़कियां अधिकांशतः पूर्व/उत्तर की दीवारों पर बनानी चाहिए।
—घर में टूटा शीशा कतई न रहने दें।, किसी भी फ्लैट में उत्तर और पूर्व की ओर छूटा हुआ स्थान दक्षिण और पश्चिम में छूटे हुए स्थान से अधिक होना चाहिए।
–मकान पर किसी भी पेड़ की छाया नहीं गिरनी चाहिए।, भूमि का स्लोप पश्चिम से पूर्व या दक्षिण से उत्तर होनी चाहिए।
–उत्तर अथवा पूर्व में बड़ा खुला स्थान नाम, धन और प्रसिद्धि का माध्यम होता है। अपने मकान, फार्म हाउस कॉलोनी के पार्क फैक्टरी के उत्तर-पूर्व, पूर्व या उत्तरी भाग में शांत भाव से बैठना या नंगे पैर धीमे-धीमे टहलना सोया भाग्य जगा देता है।
—दक्षिण-पश्चिम में अधिक खुला स्थान घर के पुरूष सदस्यों के लिए अशुभ होता है, उद्योग धंधों में यह वित्तीय हानि और भागीदारों में झगड़े का कारण बनता है।
—घर या कारखाने का उत्तर-पूर्व (ईशान) भाग बंद होने पर ईश्वर के आशीर्वाद का प्रवाह उन स्थानों तक नहीं पहुंच पाता। इसके कारण परिवार में तनाव, झगड़े आदि पनपते हैं और परिजनों की उन्नति विशेषकर गृह स्वामी के बच्चों की उन्नति अवरूद्ध हो जाती है। ईशान में शौचालय या अग्नि स्थान होना वित्तीय हानि का प्रमुख कारण है ।
—सुबह जब उठते हैं तो शरीर के एक हिस्से में सबसे अधिक चुंबकीय और विद्युतीय शक्ति होती है, इसलिए शरीर के उस हिस्से का पृथ्वी से स्पर्श करा कर पंच तत्वों की शक्तियों को संतुलित किया जाता है।
—–बैठक के कमरे में द्वार के सामने की दीवार पर दो सूरजमुखी के या ट्यूलिप के फूलों का चित्र लगाएँ।
—–घर के बाहर के बगीचे में दक्षिण-पश्चिम के कोने को सदैव रोशन रखें।
—–घर के अंदर दरवाजे के सामने कचरे का डिब्बा न रखें।
—–घर के किसी भी कोने में अथवा मध्य में जूते-चप्पल (मृत चर्म) न रखें।
—–जूतों के रखने का स्थान घर के प्रमुख व्यक्ति के कद का एक चौथाई हो, उदाहरण के तौर पर 6 फुट के व्यक्ति (घर का प्रमुख) के घर में जूते-चप्पल रखने का स्थल डेढ़ फुट से ऊँचा न हो।
—सबसे पहले उठकर हमें इस ब्रह्मांड के संचालक परमपिता परमेश्वर का कुछ पल ध्यान करना चाहिए। उसके बाद जो स्वर चल रहा है, उसी हिस्से की हथेली को देखें, कुछ देर तक चेहरे का उस हथेली से स्पर्श करें, उसे सहलाएं। उसके बाद जमीन पर आप उसी पैर को पहले रखें, जिसकी तरफ का स्वर चल रहा हो। इससे चेहरे पर चमक सदैव बनी रहेगी।
—व्यापार में आने वाली बाधाओं और किसी प्रकार के विवाद को निपटाने के लिए घर में क्रिस्टल बॉल एवं पवन घंटियां लटकाएं।
—घर में टूटे-फूटे बर्तन या टूटी खाट नहीं रखनी चाहिए। टूटे-फूटे बर्तन और टूटी खाट रखने से धन की हानि होती है।
—घर के वास्तुदोष को दूर करने के लिए उत्तर दिशा में धातु का कछुआ और श्रीयंत्र युक्त पिरामिड स्थापित करना चाहिए, इससे घर में सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
—तीन या तीन से अधिक दरवाजे एक सीध में नही होने चाहिए।
—-बीम के नीचे सिर करके न सोयें। पति पत्नि एक ही तकिए में सोयें।
—-घर के मुख्य द्वार के सामने शौचघर, बाथरुम नही होना चाहिए।
—-सीढ़ियाँ मुख्ये द्वार के सामने या आस पास नहीं होनी चाहिए।
—-बीमारियों से बचाव के लिए उल्लू लॉकेट धारण करें।
—-वंश बढ़ाने के लिए कछुए के उपर कछुआ।
—-प्रगति के लिए चमत्काएरी लक्की कार्ड…
—-भवन निर्माण में भारी धन खर्च करने के बावजूद भी सुख शांति नही।
—-भवन निर्माण के उत्तम भूमि चेक करवाएँ।
—-कक्षों के वास्तुत के विपरीत स्थिति से आपके परिवार में कलह तो नहीं।
—-क्या आप बिना तोड़फोड़ किये भवन के वास्तुप दोषों को दूर करना चाहते हैं।
—-क्या अपने शयन कक्ष और पूरे घर को फेंग शुई कराना चाहते हैं।
—-24 घंटा मंत्र गुंजन यंत्र, इनमें गायत्री मंत्र, महामृत्युंतजय मंत्र, गणपति मंत्र, ओम नम: शिवाय मंत्र तथा दस मंत्र का गुजन यंत्र। इनके गुंजन से घर में पवित्रता आती है तथा यह सुख शांति, समृद्धि का प्रतीक है।
—-मकान के पूर्व/पूर्वोत्तर दिशा में छोटे झाड़ीनुमा पौधे लगाएं। इससे मकान में रहने वाले परिवार को सूर्य के विकिरण के लाभ अधिकतम मिलते हैं।
—–ओवरहेड टंकी दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनायी जानी चाहिए।
– —स्टडी टेबल के पास पेंडुलम घड़ी लगाने से ज्यादा ध्यान लगता है।
—-बेड के ठीक सामने मीटर नहीं लगाना चाहिए।
—–गर्भवती महिलाओं को दक्षिण पूर्व के कमरों में नहीं रहना चाहिए।
– —सिर्फ वर्गाकार/आयताकार भूमि का टुकड़ा ही खरीदें।
—-सभी कमरों के फर्नीचर पैटर्न को समय-समय पर बदलते भी रहें।
– —-कीचन में नीले रंग का प्रयोग न करें।
—-बेडरूम में पूजा का स्थान नहीं बनाएं।
—-घर की भीतरी दीवार बिना कवर किया हुआ स्टोन नहीं होना चाहिए।
—-स्टडी टेबल पर पानी का भरा गिलास रखने पर ध्यान अधिक लगता है।
– —मकान के प्रवेश द्वार के पास कोई कांटेदार पौधा न लगाएं।
—-सड़क के टी-प्वाइंट को फेस करते हुए मकान ठीक नहीं होते।
– –खिड़कियां अधिकांशतः पूर्व/उत्तर की दीवारों पर बनानी चाहिए।
– —मुख्य दरवाजे के खोलने बंद करने में कोई आवाज नहीं होनी चाहिए।
—-कीचन में, कुकिंग गैस और वाशिंग सिंक के बीच ज्यादा-से-ज्यादा दूरी होनी चाहिए।
—– पूजा उत्तर/पूर्व की ओर मुख करके करनी चाहिए।
—घर में टूटा शीशा कतई न रहने दें।
– —एक लाईन से तीन दरवाजे नहीं होने चाहिए।
—–सीढ़ियां क्लॉक वाईज बनी होनी चाहिए और प्रत्येक समूह में सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए।
—–दरवाजों की संख्या सम-संख्या में जैसे 2,4,6,8 आदि होनी चाहिए।
—–किसी भी फ्लैट में उत्तर और पूर्व की ओर छूटा हुआ स्थान दक्षिण और पश्चिम में छूटे हुए स्थान से अधिक होना चाहिए।
—-उत्तर-पूर्व, पूर्व और उत्तर दिशा में बड़े पेड़ नहीं बल्कि झाड़ी लगानी चाहिए।
—-मकान पर किसी भी पेड़ की छाया नहीं गिरनी चाहिए।
– —भूमि का स्लोप पश्चिम से पूर्व या दक्षिण से उत्तर होनी चाहिए।
—-घर के मुख्य द्वार पर शुभचिह्न अंकित करना चाहिए । इससे इस में सुख-समृद्धि बनी रहती है ।
—-घर में पूजा स्थल में एक जटा वाला नारियल रखना चाहिए ।
—-घर में सजावट में हाथी, रीछ, ऊँट को सजावटी खिलौने के रुप में उपयोग अशुभ होता है ।
—-ऐसे शयनकक्ष जिनमें दम्पत्ति सोते हैं, वहाँ हंसों के जोड़े अथवा सारस के जोड़े के चित्र लगाना अति शुभ माना गया है । ये चित्र शयनकर्त्ताओं के सामने रहे इस तरह लगाना चाहिए ।
—-घर के ईशान कोण पर कूड़ा-कर्कट भी इकठ्ठा न होने दें ।
—-घर में देव स्थल पर अस्त्र-शस्त्रों को रखना अशुभ है ।
— ईशान कोण यानि कि भवन का उत्तर-पूर्वी हिस्से वाला कॉर्नर पूजा स्थल होके पवित्रता का प्रतीक है, इसकिए यहाँ झाडू-पोचा, कुड़ादान नहीं रखना चाहिए ।
— प्रातःकाल नाश्ते से पूर्व घर में झाडू अवश्य लगानी चाहिए ।
— सन्ध्या समय जब दोनों समय मिलते हैं, घर में झाडू-पौंछे का काम नहीं करना चाहिए ।
— घर में जूतों का स्थान प्रवेश द्वार के दाहिने तरफ न रखें ।
— घर में टूटे दर्पण, टूटी टाँग का पाटा तथा किसी बन्द मशीन का रखा होना सुख समृद्धि की दृष्टि से अशुभ-कारक है ।
— घर में तलघर में परिवार के किसी भी सदस्यों के फोटो न लगाएँ तथा वहाँ भगवान् और देवी-देवताओं की तस्वीरें या मूर्तियाँ भी न रखें ।
— तीन व्यक्तियों का एक सीध में एकाकी फोटो हो, तो उसे घर में नहीं रखें और न ही ऐसे फोटो को कभी भी दीवार पर टाँगें ।
— अगर दीवार पर कोई फोटो लगाना हो, तो उसके नीचे एक लकड़ी की पट्टी लगाएँ अर्थात् वह फोटो लकड़ी के पट्टे पर टिके, दीवार पर नहीं ।
ये हें व्यापार के लिए वास्तु टिप्स–
वास्तु शास्त्र के सिद्धांत सिर्फ घर पर ही नहीं बल्कि ऑफिस व दुकान पर भी लागू होते हैं। यदि दुकान या ऑफिस में वास्तु दोष हो तो व्यापार-व्यवसाय में सफलता नहीं मिलती। किस दिशा में बैठकर आप लेन-देन आदि कार्य करते हैं, इसका प्रभाव भी व्यापार में पड़ता है। यदि आप अपने व्यापार-व्यवसाय में सफलता पाना चाहते हैं नीचे लिखी वास्तु टिप्स का उपयोग करें-
वास्तु शास्त्रियों के अनुसार चुंबकीय उत्तर क्षेत्र कुबेर का स्थान माना जाता है जो कि धन वृद्धि के लिए शुभ है। यदि कोई व्यापारिक वार्ता, परामर्श, लेन-देन या कोई बड़ा सौदा करें तो मुख उत्तर की ओर रखें। इससे व्यापार में काफी लाभ होता है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है कि इस ओर चुंबकीय तरंगे विद्यमान रहती हैं जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं सक्रिय रहती हैं और शुद्ध वायु के कारण भी अधिक ऑक्सीजन मिलती है जो मस्तिष्क को सक्रिय करके स्मरण शक्ति बढ़ाती हैं। सक्रियता और स्मरण शक्ति व्यापारिक उन्नति और कार्यों को सफल करते हैं। व्यापारियों के लिए चाहिए कि वे जहां तक हो सके व्यापार आदि में उत्तर दिशा की ओर मुख रखें तथा कैश बॉक्स और महत्वपूर्ण कागज चैक-बुक आदि दाहिनी ओर रखें। इन उपायों से धन लाभ तो होता ही है साथ ही समाज में मान-प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।
इन वास्तु टिप्स से होगा मानसिक तनाव दूर—
आजकल हर किसी की जिंदगी भागदौड़ से भरी है। हर कोई इस तरह अपने काम में लगा हुआ है कि मानसिक शांति तो बिल्कुल ही नहीं है। किसी के भी पास अपने आप के लिए वक्त ही नहीं है। अगर आप मानसिक तनाव से मुक्ति चाहते हैं तो नीचे लिखे वास्तु प्रयोग जरूर अपनाएं इनको अपनाने से आप खुद को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर महसूस करेंगे।
– रात में झूठे बर्तन न रखें।
– संध्या समय पर खाना न खाएं और नही स्नान करें।
– शाम के समय घर में सुगंधित एवं पवित्र धुआ करें।
– दिन में एक बार चांदी के गिलास का पानी पीएं। इससे क्रोध पर नियंत्रण होता है।
– शयन कक्ष में मदिरापान नहीं करें। अन्यथा रोगी होने तथा डरावने सपनों का भय होता है।
– कंटीले पौधे घर में नहीं लगाएं।
– किचन में अग्रि और पानी साथ न रखें।
– अपने घर में चटकीले रंग नहीं कराये।
– घर में जाले न लगने दें, इससे मानसिक तनाव कम होता है।
– किचन का पत्थर काला नहीं रखें।
– भोजन रसोईघर में बैठकर ही करें।
– इन छोटे-छोटे उपायों से आप शांति का अनुभव करेंगे।
– घर में कोई रोगी हो तो एक कटोरी में केसर घोलकर उसके कमरे में रखे दें। वह जल्दी स्वस्थ हो जाएगा।
– घर में ऐसी व्यवस्था करें कि वातावरण सुगंधित रहे। सुगंधित वातावरण से मन प्रसन्न रहता है।
इन वास्तु टिप्स से आप रहेंगे स्वस्थ—-
आपने वह कहावत तो सुनी ही होगी कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग का निवास होता है। इसके लिए अपनी जीवन शैली में सुधार लाने के साथ-साथ अगर वास्तुशास्त्र के कुछ आधारभूत नियमों का भी खयाल रखा जाए तो परिवार में स्वास्थ्यप्रद वातावरण बना रहेगा :
1. सुबह उठकर पूर्व दिशा की सारी खिडकियां खोल दें। उगते सूरज की किरणें सेहत के लिए बहुत लाभदायक होती हैं। इससे पूरे घर के बैक्टीरिया एवं विषाणु नष्ट हो जाते हैं।
2. दोपहर बाद सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से निकलने वाली ऊर्जा तरंगें सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह होती हैं। इनसे बचने के लिए सुबह ग्यारह बजे के बाद घर की दक्षिण दिशा स्थित खिडकियों और दरवाजों पर भारी पर्दे डाल कर रखें। क्योंकि ये किरणें त्वचा एवं कोशिकाओं को क्षति पहुंचाती हैं।
3. रात को सोते समय ध्यान दें कि आपका सिर कभी भी उत्तर एवं पैर दक्षिण दिशा में न हो अन्यथा सिरदर्द और अनिद्रा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
4. गर्भवती स्त्रियों को दक्षिण-पश्चिम दिशा स्थित कमरे का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसी अवस्था में पूर्वोत्तर दिशा या ईशान कोण में बेडरूम नहीं रखना चाहिए। इसके कारण गर्भाशय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
5. नवजात शिशुओं के लिए घर के पूर्व एवं पूर्वोत्तर के कमरे सर्वश्रेष्ठ होते हैं। सोते समय बच्चे का सिर पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
6. हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों को दक्षिण-पूर्व में बेडरूम नहीं बनाना चाहिए। यह दिशा अग्नि से प्रभावित होती है और यहां रहने से ब्लडप्रेशर बढ जाता है।
7. बेडरूम हमेशा खुला और हवादार होना चाहिए। ऐसा न होने पर व्यक्ति को मानसिक तनाव एवं नर्वस सिस्टम से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।
8. वास्तुशास्त्र की दृष्टि से दीवारों पर सीलन होना नकारात्मक स्थिति मानी जाती है। ऐसे स्थान पर लंबे समय तक रहने से श्वास एवं त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
9. परिवार के बुजुर्ग सदस्यों को हमेशा नैऋत्य कोण अर्थात दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित कमरे में रहना चाहिए। यहां रहने से उनका तन-मन स्वस्थ रहता है।
10. किचन में अपने कुकिंग रेंज अथवा गैस स्टोव को इस प्रकार व्यवस्थित करें कि खाना बनाते वक्त आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे। यदि खाना बनाते समय गृहिणी का मुख उत्तर दिशा में हो तो वह सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस एवं थायरॉइड से प्रभावित हो सकती है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन बनाने से बचें। गृहिणी के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पडता है। इसी तरह पश्चिम दिशा में मुख करके खाना बनाने से आंख, नाक, कान एवं गले से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
11. यह ध्यान रखें कि रात को सोते हुए बेड के बिलकुल पास मोबाइल, स्टेवलाइजर, कंप्यूटर या टीवी आदि न हो। अन्यथा इनसे निकलने वाली विद्युत-चुंबकीय तरंगें मस्तिष्क, रक्त एवं हृदय संबंधी रोगों का कारण बन सकती हैं।
12. बेडरूम में पुरानी और बेकार वस्तुओं का संग्रह न करें। इससे वातावरण में नकारात्मकता आती है। साथ ही, ऐसे चीजों से टायफॉयड और मलेरिया जैसी बीमारियों के वायरस भी जन्म लेते हैं।
13. आंखों की दृष्टि मजबूत बनाने के लिए सुबह जल्दी उठकर, किसी खुले पार्क या हरे-भरे बाग बगीचे में टहलें। वहां मिलने वाला शुद्ध ऑक्सीजन शरीर की सभी ज्ञानेंद्रियों को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होता है।
14. कोशिश होनी चाहिए कि भोजन करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रहे। इससे सेहत अच्छी बनी रहती है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से पाचन तंत्र से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।
15. टीवी देखते हुए खाने की आदत ठीक नहीं है। ऐसा करने पर मन-मस्तिष्क भोजन पर केंद्रित न होकर माहौल के साथ भटकने लगता है। इससे शरीर को संतुलित मात्रा में भोजन नहीं मिल पाता। साथ ही टीवी से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है।
किराये के घर में ऐसे करें वास्तु दोष दूर/निवारण–
घर में वास्तु दोष होने पर परिवार के सदस्यों को आर्थिक,शारीरिक और मानसिक परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं|इन सभीपरेशानियों से बचने के लिए जरूरी है की हमारे घर के सभी वास्तुदोष दूर किये जायें या उन्हें सुधारा जाये|यदि आपकिराये के मकान में रहते हैं और वहां कोई वास्तु दोष है तो आप घर में बिना कोई तोड़ फोड़ किये उन दोषों को दूर करसकते हैं|कुछ बातों का ध्यान रखा जाये तो किराये के घर में भी वास्तु दोष से छुटकारा पाया जा सकता है|जैसे-
भवन का उत्तर-पूर्व का भाग अधिक खाली रखें|
दक्षिण-पश्चिम दिशा के भाग में अधिक भार या समान रखें|
पानी की सप्लाई उत्तर-पूर्व से लें|
शयनकक्ष में पलंग का सिरहाना दक्षिण दिशा में रखें और सोते समय सिर दक्षिण दिशा में वे पैर उत्तर दिशा में रखें|यदि ऐसा न हो तो पश्चिम दिशा में सिरहाना व सिर कर सकते हैं|
भोजन दक्षिण-पूर्व की और मुख करके ग्रहण करें|
पूजास्थल उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें यदि अन्यदिशा में हो तो पानी ग्रहण करते समय मुख ईशान(उत्तर-पूर्व)कोण की और रखें|
किचन के लिए वास्तु टिप्स—–
महिलाओं का अधिकतम समय किचन में ही बीतता है। वास्तुशास्त्रियों के मुताबिक यदि वास्तु सही न हो तो उसका विपरीत प्रभाव महिला पर, घर पर भी पड़ता है। किचन बनवाते समय इन बातों पर गौर करें।
—किचन की ऊँचाई 10 से 11 फीट होनी चाहिए और गर्म हवा निकलने के लिए वेंटीलेटर होना चाहिए। यदि 4-5 फीट में किचन की ऊँचाई हो तो महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। कभी भी किचन से लगा हुआ कोई जल स्त्रोत नहीं होना चाहिए। किचन के बाजू में बोर, कुआँ, बाथरूम बनवाना अवाइड करें, सिर्फ वाशिंग स्पेस दे सकते हैं।
—किचन में सूर्य की रोशनी सबसे ज्यादा आए। इस बात का हमेशा ध्यान रखें। किचन की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इससे सकारात्मक व पॉजिटिव एनर्जी आती है।
—- किचन हमेशा दक्षिण-पूर्व कोना जिसे अग्निकोण (आग्नेय) कहते है, में ही बनवाना चाहिए। यदि इस कोण में किचन बनाना संभव न हो तो उत्तर-पश्चिम कोण जिसे वायव्य कोण भी कहते हैं पर बनवा सकते हैं।
—- किचन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा प्लेटफार्म हमेशा पूर्व में होना चाहिए और ईशान कोण में सिंक व अग्नि कोण चूल्हा लगाना चाहिए।
—- किचन के दक्षिण में कभी भी कोई दरवाजा या खिड़की नहीं होने चाहिए। खिड़की पूर्व की ओर में ही रखें।
—- रंग का चयन करते समय भी विशेष ध्यान रखें। महिलाओं की कुंडली के आधार पर रंग का चयन करना चाहिए।
—- किचन में कभी भी ग्रेनाइट का फ्लोर या प्लेटफार्म नहीं बनवाना चाहिए और न ही मीरर जैसी कोई चीज होनी चाहिए, क्योंकि इससे विपरित प्रभाव पड़ता है और घर में कलह की स्थिति बढ़ती है।
— किचन में लॉफ्ट, अलमारी दक्षिण या पश्चिम दीवार में ही होना चाहिए।
— पानी फिल्टर ईशान कोण में लगाएँ।
—- किचन में कोई भी पावर प्वाइंट जैसे मिक्सर, ग्रांडर, माइक्रोवेव, ओवन को प्लेटफार्म में दक्षिण की तरफ लगाना चाहिए। फ्रिज हमेशा वायव्य कोण में रखें।
पूजा घर के लिए वास्तु टिप्स—-
घर में अन्य इन्टीरियर के अलावा पूजा घर या पूजा स्थल का भी अपना महत्व होता है। इसकी दिशा-दशा का ध्यान रखना अति आवश्यक है। विशेषज्ञों के अनुसार पूजा रूम के लिए घर का उत्तर-पूर्व कोना अच्छा होता है। क्योंकि यह ईशान अर्थात् ईश्वर का स्थान होता है। दक्षिण में तो पूजा रूम कतई नहीं होना चाहिए।
– किसी भी मूर्ति को पूजा रूम के पूर्व या पश्चिम में रखना चाहिए। इसे उत्तर या दक्षिण दिशा की ओर नहीं रखना चाहिए जिससे की पूजा करते समय मुंह पूर्व या पश्चिम की ओर रहे।
– घर के पूजा रूम में रखी जाने वाली मूर्तियों का आकार तीन इंच से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
– मूर्तियों या तस्वीरों को आमने सामने नहीं रखना चाहिए। मूर्ति यदि टूटी फूटी हो या उसमें किसी प्रकार की दरार हो तो उन्हें पूजा घर में ना रखें।
– मूर्तियां संगमरमर या लकड़ी की अच्छी होती है तथा मूर्तियां रखने के लिए प्लेटफार्म लकड़ी की सबसे अच्छी होती है।
-दीवारों के रंग के लिए सफेद, क्रीम या हल्के नीले रंग का प्रयोग करना चाहिए।
– रसोईघर तथा बाथरूम के साथ लगे पूजा घर नहीं बनवाएं।
– पूजा रूम घर के अंदर ग्राउंड फ्लोर पर सही होता है। बेसमेंट या पहली मंजिल पर नहीं।
– देवी-देवताओं की मूर्तियों या तस्वीरों में उनका चेहरा साफ-साफ नजर आना चाहिए। फूल माला आदि किसी भी चीज से चेहरा ढका नहीं होना चाहिए।
-यदि छोटा घर हो तो पूजा की जगह बच्चों के बेडरूम में उत्तर पूर्व कोने में बनवायें।
– पूजारूम का दरवाजा लकड़ी का ही होना चाहिए। और खिड़की पूर्व या उत्तर दिशा में बनवायें।
-पूजा रूम में चीजें रखने की आलमारी की जगह पश्चिम या दक्षिण में ही निर्धारित करें।
– पूजा रूम से हटाया गया कोई भी सामान चाहे वह मूर्ति हो या फूल घर के किसी और जगह पर ना रखें। ऐसी वस्तुओं को किसी नदी में प्रवाहित कर देना शुभ होता है।
इन वास्तु टिप्स से आएगी घर में सुख-शांति —
1. मकान का मुख्यस द्वार दक्षिण मुखी नहीं होना चाहिए। इसके लिए आप चुंबकीय कंपास लेकर जाएं। यदि आपके पास अन्य विकल्प नहीं हैं, तो द्वार के ठीक सामने बड़ा सा दर्पण लगाएं, ताकि नकारात्मेक ऊर्जा द्वार से ही वापस लौट जाएं।
2. घर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक या ऊँ की आकृति लगाएं। इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
3. घर की पूर्वोत्तवर दिशा में पानी का कलश रखें। इससे घर में समृद्धि आती है।
4. घर के खिड़की दरवाजे इस प्रकार होनी चाहिए, कि सूर्य का प्रकाश ज्यातदा से ज्याादा समय के लिए घर के अंदर आए। इससे घर की बीमारियां दूर भागती हैं।
5. परिवार में लड़ाई-झगड़ों से बचने के लिए ड्रॉइंग रूम यानी बैठक में फूलों का गुलदस्ता लगाएं।
6. रसोई घर में पूजा की अल्मागरी या मंदिर नहीं रखना चाहिए।
7. बेडरूम में भगवान के कैलेंडर या तस्वींरें या फिर धार्मिक आस्थाल से जुड़ी वस्तुपएं नहीं रखनी चाहिए। बेडरूम की दीवारों पर पोस्टडर या तस्वीिरें नहीं लगाएं तो अच्छा है। हां अगर आपका बहुत मन है, तो प्राकृतिक सौंदर्य दर्शाने वाली तस्वीयर लगाएं। इससे मन को शांति मिलती है, पति-पत्नी। में झगड़े नहीं होते।
8. घर में शौचालय के बगल में देवस्थानन नहीं होना चाहिए।
9. घर में घुसते ही शौचालय नहीं होना चाहिए।
10. घर के मुखिया का बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में अच्छा माना जाता है।
ये हें ड्राईंग रूम के लिए वास्तु टिप्स—
ड्राईंग रूम हमारी सौन्दर्यात्मक अभिरूचि और स्टेटस का प्रतीक है। आज की जीवनशैली में ड्राईंग रूम का महत्व बहुत है। आजकल अधिकतर हम ड्राईंग रूम में ही टीवी रखते और देखते हैं। भोजन करते हुए टीवी देखने की प्रवृत्ति भी बढ़ गई है, जबकि जानकारों का कहना है कि ऐसा करना अच्छा नहीं है। इस रूम में ही बैठकर हम मेहमानों के साथ या आपस में वार्ता करते हैं और जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं। लाजिमी है कि वास्तु की दृष्टि से ड्राईंग रूम का विशेष महत्व है। इस कमरे में हम दूसरे किसी भी कमरे की तुलना में ज्यादा तरह के छोटे-बड़े सामान रखते हैं। किस सामान को कहां और कैसे रखा जाए, खूबसूरती के नजरिए से इसका महत्व तो है ही, वास्तु के नजरिए से भी है। भारतीय परम्परा में सौंदर्यात्मक मानकों की वास्तु के मानकों से समानता है। ड्राईंग रूम के लिए नीचे दिए गए टिप्स पर ध्यान दें—
1. ड्राईंग रूम को पूरे मकान के उत्तर-पूर्व कोण में रखना सबसे आदर्श स्थिति है। वास्तु की शब्दावली में इसे ईशान कोण कहते हैं। पश्चिम की ओर या दक्षिण की ओर दिशा वाले मकान में ऐसा करना संभव नहीं होगा, तो उसके लिए विशेषज्ञ वास्तुकार की सलाह लें। विशेषज्ञ अन्य कमरों के बारे में आपकी योजना के साथ तुलना करते हुए ड्राईंग रूम की अपेक्षित स्थिति बताएगा।
2. कमरे में सोफे और कुर्सियों को जमाने की व्यवस्था इस प्रकार करनी चाहिए कि मकान का मालिक जब बैठे तो उसका मुख पूर्व या उत्तर की ओर हो और अन्य लोग उसकी ओर मुख करके बैठें। इससे ईशान कोण और उत्तर पूर्व कोण से आने वाली उर्जा तरंगों का अधिकतम लाभ मिलेगा, विशेषकर महत्वपूर्ण नीति-निर्णयों के मामले में।
3. अगर लम्बे सोफे को पूर्व की ओर मुख करके रखा गया है, तो मालिक इसके दक्षिण पश्चिम कोण में बैठे। अगर दोनों छोटे सोफों को पूर्व की ओर मुख करके रखा गया है, उस स्थिति में भी मालिक दक्षिण पश्चिम कोने वाले सोफे पर बैठे। इन कोण को वास्तु की शब्दावली में नैरूठी कोण कहते हैं।
4. टेलीफोन को नैरूठी कोण में ही मालिक की सीधी पहुंच में रखना चाहिए।
5. ड्राईंग रूम अगर ईशान कोण में हो, और ड्राईंग रूम की फ्लोरिंग अगर शेष मकान से नीचे हो तो यह सबसे अधिक आदर्श स्थिति है।
6. पूर्व और उत्तार दिशा वाले मकान के लिए तो यह अच्छा है कि प्रवेश द्वार से घुसते ही पहला कमरा ड्राईंग रूम हो, पर दक्षिण और पश्चिम रूख वाले मकान के लिए ऐसा अच्छा नहीं है। ऐसे लोग वास्तु विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
7. ड्राईंग रूम में प्रवेश के दरवाजे आमतौर पर कोनों में ही होने चाहिएं। ड्राईंग रूम में प्रवेश के और इस कमरे से अन्य कमरों में प्रवेश के दरवाजे कितने और कहां-कहां रखे जाएं, इस बारे में वास्तु-विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। वास्तु में दरवाजों की स्थिति का विशेष महत्व है।
8. ड्राईंग रूम के सभी हिस्सों और सभी दीवारों की सजावट में परिवार के सभी सदस्यों के व्यक्तित्व और अभिरूचि का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। सजावट की सभी वस्तुओं के बीच एक सौंदर्यात्मक अन्विति होनी चाहिए।
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Bahut badhiya aur upyogi.
ReplyDeleteITS REALLY GREAT
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