Sunday, 19 April 2015

शिवलिंग की पूजा की आलोचना :-


मौलवी अपने मदरसों में मुसलमानों को पढ़ते समय शिवलिंग की पूजा की आलोचना करतेहै.. छोटे छोटे बच्चो को बताते
है कि हिन्दू लोग लिंग और योनी की पूजा करतेहै..बेवकूफ मौलवियों को संस्कृत का ज्ञान नहीं होता है..और छोटे छोटे
बच्चो को हिन्दुओ के प्रति नफ़रत पैदा करके उनको चुतिया और आतंकी बना देते है...अब मै इसका अर्थ बता रहा हूँ..

शिवलिंग>>>पुरुष लिंग ,स्त्रीलिंग,नपुंसकलिंग >>>>लिंग
 का संस्कृत में चिन्ह ,प्रतीक अर्थ होता है..शिवलिंग का अर्थ शिव का प्रतीक....पुरुष लिंग का अर्थ पुरुष का प्रतीक इसी प्रकार स्त्री का प्रतीकऔर नपुंसकलिंग का अर्थ है ..नपुंसक का प्रतीक ---अब यदि जो लोग पुरुष लिंग को मनुष्य के जनेन्द्रिय समझ कर आलोचना करतेहै..तो वे मौलवी बताये
''स्त्री लिंग '''के अर्थ के अनुसार स्त्री का लिंगहोना चाहिए...और खुद अपनी औरतो के लिंग को बताये फिर आलोचना करे----
''शिवलिंग'''क्या है >>>>> शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और
निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है। स्कन्दपुराण में कहा है
कि आकाश स्वयं लिंग है। धरती उसका पीठ या आधार है और सब
अनन्त शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण इसे लिंग कहा है तथा कई अन्य
नामो से भी संबोधित किया गया है जैसे : प्रकाश स्तंभ/लिंग, अग्नि स्तंभ/लिंग,
उर्जा स्तंभ/लिंग, ब्रह्माण्डीय स्तंभ/लिंग (cosmic pillar/lingam) ब्रह्माण्ड में दो ही चीजे है : ऊर्जा और प्रदार्थ | हमारा शरीर प्रदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है|
इसी प्रकार शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते है |
ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा उर्जा शिवलिंग में निहित है. वास्तव
में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है. (The universe is a sign of Shiva
Lingam.) शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-
आनादी एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतिक
भी अर्थात इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री)
का वर्चस्व है अर्थात दोनों सामान है अब बात करते है योनि शब्द पर ----
मनुष्ययोनि ''पशुयोनी''पेड़- पौधों की योनि'''पत्थरयोनि''' >>>>
योनि का संस्कृत में प्रादुर्भाव ,प्रकटीकरण अर्थ होता है..जीव अपने कर्म के अनुसार
विभिन्न योनियों में जन्म लेता है..इस्लाम में पुर्जन्म की मान्यता नहीं है...इसीलिए
योनि शब्द के संस्कृत अर्थ को नहीं जानते है..
मनुष्य योनी >>>>पुरुष और स्त्री दोनों को मिलाकर मनुष्य योनि होता है..अकेले स्त्री या अकेले पुरुष के लिए मनुष्य योनि शब्द का प्रयोग संस्कृत में नहीं होता है...किन्तु इस्लाम के मौलवी इसको नहीं जानते है.यदि इस्लाम मनुष्ययोनी को जननेंद्रिय कहकर
आलोचना करता है तो मौलवी अपनी योनी को दिखाए...अन्यथा इस
बकवास को अरब तक सिमित रखे जिस मुस्लिम को बुरा लगता है तो पहले
अपने मदरसे के मौलवियों से पूछे क्यों बकवास पढ़ा रहा है.....

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