Sunday, 17 May 2015

पंच महा यज्ञ -

 
पंच महा यज्ञ
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सभी श्रेस्ठ कर्मो का नाम यज्ञ हे। महा यज्ञ पाँच है -
1ब्रह्मयज्ञ   2 देवयज्ञ   3पितृ यज्ञ    4अतिथि यज्ञ    5बलिवैश्वदेव यज्ञ

ब्रह्म यज्ञ
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ब्रह्मयज्ञ संध्या को कहते है |
प्रातः सूर्योदय से पूर्व तथा सांय सूर्या सस्त के बाद जब आकाश में लालिमा होती है तब एकांत स्थान में बैठ कर ईश्वर का ध्यान करना ही ब्रह्मयज्ञ अथवा संध्या कहलाती है।

देव यज्ञ
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अग्निहोत्र अर्थात हवन को देवयज्ञ कहते है। हम दिन भर अपने शरीर के द्वारा वायु जल और पृथ्वी को प्रदूषित करते रहते है इसके अतिरिक्त आजकल हमारी मशीनों से भी प्रदूषण फैल रहा है जिसके कारण अनेक बीमारिया फैल रही है उस प्रदूषण को रोकना तथा वायु जल और पृथ्वी को पवित्र करना हमारा परम कर्तव्य है। सब प्रकार के प्रदूषण को रोकने का एक ही मुख्य साधन है और वह है हवन।।।।।

हवन में बोले जाने वाले मन्त्रो का भी महत्व है। इसके मानसिक एवं आत्मिक पवित्रता एवं शान्ति की प्राप्ति होती है।

पितृ यज्ञ
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जीवित माता पिता गुरुजनो और अन्य बड़ो की सेवा एवं आज्ञा पालन करना ही पितृ यज्ञ है।


अतिथि यज्ञ
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घर पर आये हुए विद्वान् धर्मात्मा संतमहात्मा का भोजन आदि सत्कार सेवा करके ज्ञान प्राप्ति करना अतिथि यज्ञ है


बलिवैश्वदेव यज्ञ
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पशु पक्षी किट पंतग आदि ईश्वर ने हमारे कल्याण के लिए ही बनाये है।। इन पर दया करना और इन्हें खाना खिलाना बलिवैश्वदेव यज्ञ है।।


ये 5 महा यज्ञ है जो प्रतिदिन हर व्यक्ति को करना चाहिए । भगवान् राम और कृष्ण सुबह शाम दैनिक यज्ञ एवं संध्या करते थे |

🚩🚩🚩कृण्वन्तो विश्वार्यम🌏🌏🌏🚩🚩🚩


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4 comments:

  1. और अच्छी जानकारी! मुझे जो जानना था, वह मिला!

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  2. और अच्छी जानकारी! मुझे जो जानना था, वह मिला!

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