प्रतिवर्ष नागपंचमी को सर्प का पूजन किया जाता है। कई जगह नाग बीम के स्थान पर जाकर भी पूजन करते है।
इस बार नाग पंचमी सोमवार को भद्रा विष्टिकरण योग में लग रही है। इस दिन उज्जैन के सिद्धवट या त्र्यंबकेश्वर में जाकर कालसर्प दोष का विधिपूर्वक पूजन किया जाए, तो अशुभ योग कालसर्प दोष का शमन होकर शुभ फल की प्राप्ति होती है।
इस वर्ष शुक्ल पक्ष श्रावण सोमवार होने से नागपंचमी का विशेष महत्व बढ़ गया है। साक्षात् भगवान आशुतोष देवाधिदेव महादेव ने ही सर्पों को धारण कर रखा है।
इस दिन घरों में तवे पर रोटी नहीं बनाई जाती है, कहते है कि तवा नाग के फन का प्रतिरूप होने से हिन्दू धर्म में तवे को अग्नि पर रखना वर्जित है। इस दिन दाल-बाटी-चूरमे के लड्डू बना कर नाग देवता का पूजन किया जाता है।
ध्यान रहे कि नाग पूजन करते वक्त नाग को दूध नहीं पिलाना चाहिए, क्योंकि नाग कभी भी तरल पदार्थ सेवन नहीं करता यदि भुलवश चला भी जाए तो वह उसके लिए प्राणघातक होता है। जिस प्रकार हमारे फेफड़ों में पानी या कोई भी वस्तु चली जाए तो हमारे प्राण संकट में पड़ जाते है, ठीक उसी प्रकार नाग पर भी प्रभाव होता है।
इसके लिए हमें अपने घर में ही शुद्ध घी से दीवार पर नाग बनाना चाहिए एवं फिर उनका विधि-विधान से पूजना करना चाहिए। इस प्रकार करने से नाग देवता प्रसन्न होने के साथ-साथ शुभ प्रभाव देते हैं व नाग दंश का भय भी नहीं रहता हैं।
नागपंचमी पर अधिकांश परिवार वाले काले रंग या कोयले से नाग बनाते है एवं फिर पूजन करते है, लेकिन काला अशुभ होता है। अतः घी के ही नाग बनाकर पूजन करना चाहिए।
कालसर्प योग वाले व्यक्ति इस दिन विधि-विधान से उज्जैन सिद्धवट पर या फिर त्र्यंबकेश्वर जाकर पूजन करवाने से अशुभ प्रभाव खत्म होकर शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है।
हां, एक बात का अवश्य ध्यान रखें की कभी भी नाग आकृति वाली अंगूठी कदापि ना पहनें व जिसे भी इस प्रकार का दोष है वे गोमेद भी ना धारण करें।
23 जुलाई के दिन भद्रा की समाप्ति समय 8 बजकर 13 मिनट 33 सेकंड पर हो रहा है। इसके बाद ही नाग पूजन कर कालसर्प दोष की शांति कराएं। इस दिन भी कालसर्प योग ही चल रहा है। इस समय जो भी बालक जन्म लेगा वो इस दोष से पीड़ित होगा।
इस समयावधि में दो शुभ योग बनने पर भी आज जन्म लिए बालक पर शुभ प्रभाव नहीं डालेंगे। पहला शुभ योग- चंद्र से गुरु का केन्द्रस्थ होने पर बनने वाला गजकेसरी योग व शुक्र का केन्द्रस्थ स्वराशि वृषभ पर होने से मालव्य योग बनता है। लेकिन इस दिन कालसर्प दोष व अशुभ योग शनि-मंगल की युति भी है।
पूजन विधि -
नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें इसके बाद नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें-
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
- इसके बाद व्रत-उपवास एवं पूजा-उपासना का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, पुष्प, धूप, दीप से पूजन करें तथा सफेद मिठाई का भोग लगाएं। यह प्रार्थना करें-
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जाप करें-
ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें-
ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
नागदेवता की आरती करें और प्रसाद बांट दें। इस प्रकार पूजन करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।
12 प्रकार का होता है कालसर्प दोष -
ज्योतिष के अनुसार, कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार का होता है, इसका निर्धारण जन्म कुंडली देखकर ही किया जा सकता है। प्रत्येक कालसर्प दोष के निवारण के लिए अलग-अलग उपाय हैं। यदि आप जानते हैं कि आपकी कुंडली में कौन का कालसर्प दोष है तो उसके अनुसार आप नागपंचमी के दिन उपाय कर सकते हैं। कालसर्प दोष के प्रकार व उनके उपाय इस प्रकार हैं-
1. अनन्त कालसर्प दोष -
- अनन्त कालसर्प दोष होने पर नागपंचमी पर एकमुखी, आठमुखी अथवा नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
- यदि इस दोष के कारण स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है, तो नागपंचमी पर रांगे (एक धातु) से बना सिक्का नदी में प्रवाहित करें।
2. लिकुक कालसर्प दोष -
- कुलिक नामक कालसर्प दोष होने
पर दो रंग वाला कंबल अथवा गर्म वस्त्र दान करें।
- चांदी की ठोस गोली बनवाकर उसकी पूजा करें और उसे अपने पास
3.वासुकि कालसर्प दोष -
3.वासुकि कालसर्प दोष -
- वासुकि कालसर्प दोष होने पर रात को सोते समय सिरहाने पर थोड़ा बाजरा रखें और सुबह उठकर उसे पक्षियों को खिला दें।
- नागपंचमी पर लाल धागे में तीन, आठ या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
4. शंखपाल कालसर्प दोष -
- शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण के लिए 400 ग्राम साबूत बादाम बहते जल में प्रवाहित करें।
- नागपंचमी पर शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें।
5. पद्म कालसर्प दोष -
- पद्म कालसर्प दोष होने पर नागपंचमी से प्रारंभ करते हुए 40 दिनों तक रोज सरस्वती चालीसा का पाठ करें।
- जरूरतमंदों को पीले वस्त्र का दान करें और तुलसी का पौधा लगाएं।
6. महापद्म कालसर्प दोष -
- महापद्म कालसर्प दोष के निदान के लिए हनुमान मंदिर में जाकर सुंदरकांड का पाठ करें।
- नागपंचमी पर गरीब, असहायों को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें।
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7. तक्षक कालसर्प दोष -
- तक्षक कालसर्प योग के निवारण के लिए 11 नारियल बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
- सफेद कपड़े और चावल का दान करें।
8. कर्कोटक कालसर्प दोष -
- कर्कोटक कालसर्प योग होने पर बटुकभैरव के मंदिर में जाकर उन्हें दही-गुड़ का भोग लगाएं और पूजा करें।
- नागपंचमी पर शीशे के आठ टुकड़े नदी में प्रवाहित करें।
9. शंखचूड़ कालसर्प दोष -
- शंखचूड़ नामक कालसर्प दोष की शांति के लिए नागपंचमी की रात सोने से पहले सिरहाने के पास जौ रखें और उसे अगले दिन पक्षियों को खिला दें।
- पांचमुखी, आठमुखी या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
10. घातक कालसर्प दोष -
- घातक कालसर्प के निवारण के लिए पीतल के बर्तन में गंगाजल भरकर अपने पूजा स्थल पर रखें।
- चार मुखी, आठमुखी और नौ मुखी रुद्राक्ष हरे रंग के धागे में धारण करें।
11.विषधर कालसर्प दोष -
- विषधर कालसर्प के निदान के लिए परिवार के सदस्यों की संख्या के बराबर नारियल लेकर एक-एक नारियल पर उनका हाथ लगवाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
- नागपंचमी पर भगवान शिव के मंदिर में जाकर यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें।
12. शेषनाग कालसर्प दोष -
- शेषनाग कालसर्प दोष होने पर नागपंचमी की पूर्व रात्रि को लाल कपड़े में थोड़े से बताशे व सफेद फूल बांधकर सिरहाने रखें और उसे अगले दिन सुबह उन्हें नदी में प्रवाहित कर दें।
- नागपंचमी पर गरीबों को दूध व अन्य सफेद वस्तुओं का दान करें।
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ReplyDeleteThanks for the information, Really useful to know about all these tripindi shraddha puja in a single place. Also shared with my colleagues
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