भगवान अपने भक्त को छप्पन प्रकार का भोग लगा कर पूजा करने के लिए नहीं कहते हैं. वे तो केवल आपके सच्चे भक्ति-भाव से ही प्रसन्न हो जाते हैं. महाभारत में भी भगवान श्रीकृष्ण को दुर्योधन ने भोजन के लिए आमंत्रित किया तो कृष्ण उसका तिरस्कार कर विदुर के घर शाक-पात खाने को पहुंच गए. एक पुरानी कहावत है कि भक्त अपने सामर्थ से ‘पान का पत्ता न सही, पान का डंठल ही सही’ सच्चे मन से चढ़ाता है तो प्रभु खुश हो जाते हैं. प्रभु की सच्ची भक्ति और उपासना के लिए यह जरूरी है कि भक्तगण को यह ज्ञात हो कि किस देवी-देवता को कौन सा चढ़ावा प्रिय है.
आज बात करेंगे कि किस देवी-देवता को कौन सा फूल अति प्रिय है. मान्यता है कि प्रभु के प्रिय फूल को चढ़ाने से वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. देवों के इस श्रेणी में सबसे पहले पूजे जाने वाले श्री गणेशजी की बात करते हैं.
भगवान गणेश -
देवों में सर्वप्रथम भगवान गणेशजी को तुलसी छोड़कर हर तरह के फूल पसंद है. खास बात यह है कि गणपति को दूब अधिक प्रिय है. दूब की फुनगी में 3 या 5 पत्तियां हों, तो ज्यादा अच्छा रहता है. ध्यान रहे कि गणेशजी पर तुलसी कभी न चढ़ाएं.
भगवान महादेव -
भोले बाबा को सभी सुगंधित पुष्प पंसद हैं. चमेली, श्वेत कमल, शमी, मौलसिरी, पाटला, नागचंपा, शमी, खस, गूलर, पलाश, बेलपत्र, केसर उन्हें खास प्रिय हैं. धतूरा और बेलपत्र महादेव को खास प्रिय हैं.
भगवान विष्णु -
यदि आप भगवान विष्णु के भक्त हैं तो उन्हें तुलसी अर्पित करें. भगवान विष्णु को तुलसी बहुत पसंद है. काली तुलसी और गौरी तुलसी, उन्हें दोनों ही पंसद हैं. तुलसी के साथ कमल, बेला, चमेली, गूमा, खैर, शमी, चंपा, मालती, कुंद आदि फूल विष्णु को प्रिय हैं.
हनुमान -
महावीर हनुमानजी को लाल फूल चढ़ाना ज्यादा अच्छा रहता है. वैसे उन्हें कोई भी सुगंधित फूल चढ़ाया जा सकता है.
सूर्य -
भगवान सूर्य को आक का फूल सबसे ज्यादा प्रिय है. मान्यता है कि अगर सूर्य को एक आक का फूल अर्पण कर दिया जाए, तो सोने की 10 अशर्फियां चढ़ाने का फल मिल जाता है. उड़हुल, कनेल, शमी, नीलकमल, लाल कमल, बेला, मालती आदि चढ़ाए है. ध्यान रहे कि सूर्य पर धतूरा, अपराजिता, अमड़ा और तगर कभी न चढ़ाएं.
माता गौरी और दुर्गा -
आम तौर पर भगवान शंकर को जो भी फूल पसंद हैं, देवी पार्वती को वे सभी फूल चढ़ाए जा सकते हैं. सभी लाल फूल और सुगंधित सभी सफेद फूल भगवती को विशेष प्रिय हैं. बेला, चमेली, केसर, श्वेत कमल, पलाश, चंपा, कनेर, अपराजित आदि फूलों से भी देवी की पूजा की जाती है. आक और मदार के फूल केवल दुर्गाजी को ही चढ़ाना चाहिए, अन्य किसी देवी को नहीं. दुर्गाजी पर दूब कभी न चढ़ाएं. लक्ष्मीजी को कमल का फूल चढ़ाने का विशेष महत्व है.
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Ati sundar sar ji
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